Wednesday, August 12, 2009

एक नया इतिहास बनायें

'मैं' और 'तुम' को मिटाकर आओ हम 'हम' बनायें
'अपना' , 'पराया' को मिटाकर एक नया इतिहास बनायें

'हम सब एक हैं' इस नारे का वातव में क्या अर्थ है, उसे समझकर वास्तव में एक हो जायें ,
एक नया इतिहास बनायें

जाती-पाती, उंच- नच यह क्या हैं हम यह भूल जायें
मानव को मानव की दृष्टि से देखें और एक नया इतिहास बनायें

'अहम्', 'गर्व', 'छल-कपट', 'घृणा' और 'प्रतिशोद' की भावनाओं को अपने मन् से कोसों दूर भगाएं
प्रेम और सदभावाना के बीज मन में बो कर संवेदना और कल्याणकारी फसल उगायें
एक नया इतिहास बनायें

भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विरूद्व केवल नारा लगाकर अपना समय न गवाएं
ऐसे असामाजिक तत्वों को जड़ से मिटाकर सदैव के लिए शांतिपूर्वक वातावरण की स्थापना करवाएं
एक नया इतिहास बनायें

मांस मनुष्यों में भी है और पशु-पक्षियों में भी
रक्त मनुष्यों का भी लाल है अन्य प्राणियों का भी
इनमे कोई अन्तर नहीं
जितना अधिकार हमारा इस पृथ्वी पर है, उतना ही उनका भी है
हम भी जीयें, उनको भी जीने दें , उनको उनका अधिकार दिलाएं,
एक नया इतिहास बनायें

धरती के सैकड़ों टुकड़े हो गए
देश के सैकड़ों टुकड़े हो गए
राज्यों के भी सैकड़ों टुकड़े हो गए
घर भी टुकडा टुकडा हो गया
घर के टुकडों को समेटकर, एक ही चूल्हा जलाकर, साथ बैठकर खाने का सौभाग्य पाएं,
एक नया इतिहास बनायें

शहरों की चकाचौन्द और आधुनिकता की मंत्र-मुग्ध करने वाली प्रवृत्ति की माया जाल में न उलझें
गाँव की गलियों में, मिटटी की सुधि-सौंधी सुगंध का आनंद उठाएं, खुले आकाश के नीचे खड़े होकर तारों को देखें
प्रकृति की सुन्दरता और शीतलता का महत्व समझें
एक नया इतिहास बनायें

किसानों के ऋणी हैं हम
किसी नेता या अभिनेता को न पूजकर
किसानों का आभार माने, उन्हें अपना भगवन बनायें
एक नया इतिहास बनायें

वैसे तो मानवता ही मानव की पहचान है
पर सबकी अपनी अपनी सभ्यता-संकृति है,
विदेशी रंग में रंगकर, विदेशी धुन में रमकर
अपनी पहचान न खोएं
अपनी बोली, अपनी भाषा, अपनी वेश-भूषा, अपने खान-पान और रहन-सहन को यथोचित स्थान प्रदान करें,
अपनी जड़ से टूटें नहीं, टूटेंगे तो बिखर जायेंगे , नष्ट हो जायेंगे ,
अपने जड़ को मज़बूत बनायें
एक नया इतिहास बनायें

दानव से मानव बनकर, मानव से देव
पृथ्वी के परे नहीं, प्रथ्वी में ही स्वर्ग बनायें
पृथ्वी पर की देवलोक की स्थापना करें, एक और सत युग का आरम्भ करें
एक नए सृष्टि की रचना कर एक नया इतिहास बनायें

2 comments:

  1. Wish all of us could think and feel so...good one

    ReplyDelete
  2. is kavita mai asli bharat kee sugandh aa rahi hai - wo milbaithker - i chulhe kee roto - se sanyuta parivaar mai panapta prem . wo apni seedhi sadhi climate ke anusar vesh bhusha .is krishi pradhan desh kee kisan kee yad karna - sach pucho to agar kisan sirf 1 fasal ke liye hartal kar dein to - kya haal ho ga samaj ka ! aor sabse zaroori - ekta - is desh mai ye hi kami aa gayi hai

    ReplyDelete